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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने विमल नेगी की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी

 

शिमला पुलिस की एसआईटी की जांच पर कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल

हिमाचल कैडर का कोई अधिकारी सीबीआई टीम में शामिल नहीं होगा

पेन ड्राइव छिपाने और डेटा डिलीट करने के मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध

विमल नेगी की पत्नी ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की थी


 BLOG: पराक्रम चंद

Vimal Negi Case; हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। कोर्ट ने यह निर्णय शिमला पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) की जांच में गंभीर खामियों और पक्षपात के आरोपों के मद्देनजर लिया।

न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने इस मामले में विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि SIT की जांच निष्पक्ष नहीं है और इसमें कई महत्वपूर्ण साक्ष्यों की अनदेखी की गई है।

पेन ड्राइव छिपाने का मामला: विमल नेगी का शव 18 मार्च 2025 को बिलासपुर के गोबिंद सागर झील से बरामद हुआ था। शव से एक पेन ड्राइव भी मिली थी, जिसे बाद में ASI पंकज द्वारा छिपा लिया गया और उसका डेटा डिलीट कर दिया गया। बाद में दूसरी SIT ने इस पेन ड्राइव को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा, जिसमें लगभग 14,000 पृष्ठों का डेटा रिकवर हुआ। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

कोर्ट की टिप्पणी: कोर्ट ने पाया कि SIT की जांच में कई असंगतियां हैं और DGP अतुल वर्मा द्वारा दायर हलफनामे में भी SIT की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि CBI टीम में हिमाचल प्रदेश कैडर का कोई अधिकारी शामिल नहीं होगा, ताकि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष हो सके।

सरकारी पक्ष की दलीलें: एडवोकेट जनरल अनुप कुमार रत्तन ने कोर्ट में दलील दी कि राज्य पुलिस की SIT जांच को पूरा करने के लिए दो सप्ताह का समय और दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि CBI को जांच सौंपने से राज्य पुलिस का मनोबल गिर सकता है। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और CBI जांच का आदेश दिया।

परिवार का आरोप: विमल नेगी की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति को HPPCL के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था और उन्हें बीमारी के दौरान भी देर रात तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पति डिप्रेशन से जूझ रहे थे और उन्हें उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता नहीं मिल रही थी।